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हम एक अलग दौर के इंसान है, एक ऐसा दौर जहां तकनीक हमारे संग हर वक्त चलने को तैयार रहता है। इसके संग हम भी चलें यह भी आवश्यक है, कह सकते हैं हमारी जरूरत है। तकनीकी सुविधा-व्यवस्था से हम दूर तो रह ही नहीं सकते हैं। जबसे हिन्दी ब्लॉगिंग ने अपना स्पेस हमारे लिए बढ़ाया है, उसी समय से हम तकनीक की दुनिया से और भी नजदीक होते गये। नेट पर हिन्दी अपनी उपस्थिति जिस गति से बढ़ा रही है, उसके पीछे कहीं न कहीं हिन्दी ब्लाग का ही हाथ है।
ऐसे कई उदाहरण हैं जिससे इस बात की पुष्टि हो सकती है कि एक आम आदमी ब्लाग के जरिए किस प्रकार तकनीकी दुनिया से सहज होता गया। दरअसल यहीं से हिन्दी आनलाईन की तकदीर बदलनी शुरू हुई। भले हीं कुछ लोग इस दुनिया से पहले से ही परिचित थे, लेकिन उनकी संख्या कुछ खास नहीं थी। दरअसल वे इस दुनिया के आम नहीं खास रहे हैं। शायद इसी काऱण वे इस दुनिया में काफी तेजी से अपनी राह बना पाए।
लेकिन एक ऐसा भी दौर आया जब लोग यहां काफी सहज होकर अपना आशियाना बनाने लगे। यह दौर काफी नया है। यूनिकोड के सुलभ हो जाने से सभी ने नेट पर हिन्दीयाना (हिन्दी में लिखना) प्रारंभ किया। कंप्यूटर से खार खाए लोग भी की-बोर्ड से यारी करने लगे, और यहीं से हिन्दी का एक अलग रूप सामने आया। ब्लॉगस्पाट डाट कॉम ने इस पूरे प्रकरण में तो कमाल का काम किया है। कुछ इसी तरह का काम हिन्दीनी डाट काम ने भी किया। इस वेब के औजार विभाग ने तो हिन्दी को सर्व सुलभ बनाने में ऐतिहासिक काम किया है। ठीक उसी प्रकार जैसे रवि रतलाम रचनाकार और अपने काम के द्वारा कर रहे हैं।
वैसे हिन्दीनी को लोगों से रू-ब-रू कराने में सराय-सीएसडीएस के रविकान्त का भी हाथ है। सराय के दीवान@ सराय द्वारा इसका प्रचार-प्रसार हुआ है। फरवरी 2007 से तो हिन्दी ब्लॉगिंग सुनामी की तरह फैलने लगी। ऑन-लाइन हिन्दी का यह स्वर्णिम काल रहा है। पानीपत के हरिराम किशोर भी हिन्दनी के जरिए ब्लागियाने लगे। इसी बीच लोग मंगल फॉन्ट से परिचित हुए। यह तो और भी आसान निकला। अपने एक्सपी सिस्टम में लोग खुद हीं हिन्दी इन्सटॉल करने लगे। पहली बार जब किशनगंज बिहार के अरमान ने अपने सिस्टम के टुलबार पर HN और EN को स्थापित किया तो वह खुशी से पागल हो उठा। उसके अनुसार अब मैं तो फाईल नेम भी हिन्दी में ही लिखूंगा..। सबकुछ आसान होता गया, कह सकते हैं डॉट-कॉम की राह हमारे लिए टनाटन बन गयी। आज लोग जमकर हिन्दी में वेब पन्नों पर लिख रहे हैं। शायद राह और भी आसान होगी हमारे लिए, आनेवाला समय हिन्दी को ऑन-लाईन की दुनिया में और भी तेज रफ्तार से आगे ले जाएगा, ठीक फटाफट ट्वेंटी-20 क्रिकेट की तरह। बस हम सब अपने-अपने कामों के बीच भी हिन्दी को ऑन-लाईन दुनिया में पूरा स्पेस देते रहें………..।
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